भभुआ प्रखंड के भोखरा गाँव में आजादी के सात दशक बीत जाने के बावजूद बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है, जिसके चलते ग्रामीण नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। हाल ही में गांव के दौरे पर पहुंचे जिला परिषद सदस्य विकास सिंह उर्फ लल्लू पटेल ने गांव की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि यहाँ सरकारी योजनाएँ कागजों में ही सीमित रह गईं, और धरातल पर स्थिति आज भी आदिम युग जैसी प्रतीत होती है। भोखरा गाँव में पीने के लिए शुद्ध पानी, पक्की सड़क, स्वास्थ्य सेवाएँ, और अन्य जरूरी सुविधाओं का घोर अभाव है।
गाँव में शुद्ध पेयजल का संकट
गाँव में पीने के पानी की समस्या सबसे बड़ी है। मुसहर बस्ती में केवल एक सरकारी चापाकल है, जहाँ हर समय पानी भरने के लिए लंबी कतारें लगी रहती हैं। अगर यह चापाकल खराब हो जाता है, तो ग्रामीणों को कुआं या तालाब के गंदे पानी का सहारा लेना पड़ता है। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि गाँव के विकास के अभाव को भी दर्शाता है।
मुख्य मार्गों की दयनीय स्थिति
सड़क की स्थिति भी बेहद दयनीय है। मुख्य मार्ग में गाजर बिंद के घर से भोला के घर तक कच्ची और कीचड़ भरी सड़क से ग्रामीणों को गुजरना पड़ता है, खासकर बरसात के दिनों में यह रास्ता और भी खतरनाक हो जाता है। महिलाएं और बच्चे इस खराब रास्ते से काली मां के पूजन के लिए जाते हैं, जो उनके लिए बेहद कठिन है।
स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और आवास योजना की पोल
भोखरा गाँव में कोई अस्पताल या स्वास्थ्य सुविधा नहीं है। अगर कोई बीमार पड़ता है, तो ग्रामीणों को अपनी पीठ या चारपाई पर मरीज को लेकर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव इस गाँव के लिए बड़ी समस्या है।
इसके अलावा, आवास योजना की हकीकत भी गाँव में साफ नजर आती है। करीब 20 से अधिक घर कच्चे हैं, जो सरकार की आवास योजनाओं की विफलता को दर्शाते हैं। मुसहर और बिंद जाति के लोग, जो इस गाँव के 90% हिस्से में रहते हैं, सरकार की योजनाओं के लाभ से अब तक वंचित हैं।
जिला परिषद सदस्य विकास सिंह का दौरा और आश्वासन
गाँव की इस बदतर स्थिति को देखकर भभुआ के जिला परिषद सदस्य विकास सिंह उर्फ लल्लू पटेल ने रविवार को भोखरा गाँव का दौरा किया। उन्होंने गाँव में चौपाल लगाई और ग्रामीणों की समस्याओं को सुना।
चौपाल के दौरान, विकास सिंह ने स्थिति का जायजा लिया और ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि बहुत जल्द उनके जिला परिषद फंड से पक्की सड़क का निर्माण करवाया जाएगा। इस आश्वासन से ग्रामीणों में उम्मीद की किरण जगी और वे काफी खुश दिखे।
विकास सिंह ने जानकारी दी कि भोखरा गाँव की दुर्दशा सरकार और प्रशासन की लापरवाही को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। सात दशक बाद भी यह गाँव बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक इन समस्याओं का समाधान कर पाता है और भोखरा गाँव को उसकी खोई हुई पहचान और सुविधाएँ मिल पाती हैं।