भभुआ प्रखंड के डिहरमा गाँव में 7 दिवसिय श्रीमद भागवत कथा, ज्ञान यज्ञ व भंडारे का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ जिला परिषद सदस्य विकास सिंह जी ने दीप प्रज्वलित कर किया. जिला परिषद सदस्य ने बताया कि 7 दिनों से भभुआ प्रखंड के डिहरमा गांव भागवत कथा का आयोजन चल रहा आज बृहस्पतिवार के दिन कार्यक्रम का समापन है तो भंडारे का आयोजन किया गया. जिसमें गाँव के काफी लोगो ने उपस्थित होकर प्रसाद ग्रहण किए.
आयोजित कार्यक्रम के कथा वाचक सुशील माधव दास जी पूरे 7 दिन तक अपने प्रवचनों से गांव वासियों को प्रभावित किया साथ ही लोगो में ज्ञान का प्रसार किया. 7 दिन गांव में कथा चलने से पूरे गांव में शांति और सुकून का माहौल हो गया. भागवत कथा व धार्मिक अनुष्ठानों से मन को ख़ुशी एवं काफी शांति मिलती है. ग्रामीणवासी भक्ति रस में सराबोर रहे. कार्यक्रम में सूचित यादव, वीरेंद्र राय, मंटू, कमला राय, दशरथ पासवान, शाहिद काफी संख्या में लोग मौजूद रहे.
बताते चले कि भगवत कथा के अंतर्गत भागवत पुराण हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है. इसे श्रीमद्भागवतम् या केवल भागवतम् नाम से भी जाना जाता है. इस पुराण का मुख्य ध्येय भक्ति योग है, जिसमें भगवान कृष्ण को सभी देवताओं के देव या स्वयं भगवान के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है. भगवत पुराण में रस-भाव की भक्ति का विवेचन भी हुआ है. इस पुराण के अनुसार, श्रीकृष्ण के प्रति सच्चे मन से भक्ति करने से जीवन में उद्धार होता है और भगवान का आनंद प्राप्त होता है. इसे वेद व्यास द्वारा रचा गया माना जाता है और इसमें विविध उपाख्यानों के माध्यम से ज्ञान, भक्ति, मुक्ति, अनुग्रह, धर्म और वैराग्य जैसे विषयों का विस्तार किया गया है.
श्रीमद्भागवत भारतीय साहित्य का गर्व और मुकुटमणि है. इसमें भगवान शुकदेव द्वारा महाराज परीक्षित को सुनाई जाने वाली भगवत कथा तो मानो सोपान है, जो मनुष्य को भक्तिमार्ग में अग्रसर बनाती है. इस पुराण के प्रत्येक श्लोक में श्रीकृष्ण-प्रेम की सुगंधि महकती है. इसमें साधना-ज्ञान, सिद्धि-ज्ञान, साधना-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत और अद्वैत संगठित रूप से समन्वयित हैं, जो अनेक प्रेरक उपाख्यानों के माध्यम से प्रस्तुत होते हैं.