Vikash Singh
  • होम
  • जानें
  • अपडेट
  • संपर्क
  • जन सुनवाई

कोसी नदी - बेलका जलाशय परियोजना

  • By
  • Dr Dinesh kumar Mishra
  • September-28-2018

उपर्युक्त सलाहकार समिति ने बराहक्षेत्र योजना की एक वैकल्पिक व्यवस्था दी थी जिसके अनुसार योजना निम्न रूप से प्रस्तुत की गई..

1- चतरा से 14.4 कि.मी नीचे बेलका पहाडि़यों में 25.91 मीटर ऊंचा मिट्टी का बांध बनाना जिसका स्पिलवे कंक्रीट का बना होगा। बांधों की कुल लम्बाई 19.2 कि.मी. होगी तथा स्पिलवे 762 मीटर लम्बा होगा।  इसकी संचय क्षमता 2.20 लाख हेक्टेयर मीटर आंकी गई थी जिसमें 1.04 लाख हेक्टेयर मीटर सिल्ट के लिए तथा बाकी जलाशय के लिए थी। इस जलाशय की वज़ह से 1927 के 21,150 घनमेक सर्वाधिक प्रवाह को 8500 घनमेक तथा 1948 के 14,340 घनमेक सर्वाधिक प्रवाह को  6000 घनमेक किया जा सकता था। ऐसा अनुमान था कि 17 वर्षों में बांध की सिल्ट/बालू धारण करने के लिए निर्दिष्ट क्षमता का पूरा उपयोग हो जायेगा तथा लगभग 50 वर्ष में संपूर्ण संचय क्षमता का ”हास हो जायेगा।

2- नेपाल तथा बिहार के उपयोग के लिए 68,000 किलोवाट विद्युत उत्पादन।

3- पूर्वी कोसी नहर प्रणाली का निर्माण जिससे बिहार के 6.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई होगी।

4- नहर में तीन इकाइयों द्वारा 30,000 किलोवाट बिजली का आवश्यकतानुसार उत्पादन।

5- नेपाल पूर्वी नहर प्रणाली का निर्माण।

6- पश्चिमी कोसी नहर द्वारा नेपाल तथा बिहार में 4.70 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की व्यवस्था।

इस योजना पर 55.5 करोड़ रुपए लगने का अनुमान किया गया था। कोसी नदी के पश्चिमी तट पर कुसहा से भगवानपुर तक 56 कि-मी- लम्बा प्रस्तावित तटबंध भी इस योजना का अंग था जिससे नदी के पश्चिम की ओर के विस्थापन को रोका जा सके। मगर योजना स्तर पर ही इस प्रस्तावित तटबंध का ज़बर्दस्त विरोध हुआ और यह प्रश्न बिहार विधान सभा में भी उठाया गया था जिसके तर्क साफ़ थे कि अगर बेलका बांध बनाने के बाद भी सारी बालू/सिल्ट इस मात्र में मौजूद रहे कि नदी की धारा परिवर्तन का डर बना ही रहे तो फिर बेलका बांध और पश्चिमी तटबंध की जरूरत ही क्या है?

ललितेश्वर मल्लिक (1953) लिखते हैं, “यदि यह मान्यता ठीक है कि बेलका बांध से अथवा बराहक्षेत्र बांध से कोसी की बाढ़ पर पूरा नियंत्रण पड़ जायेगा तब तो बांध (तटबंध) की आवश्यकता ही नहीं रह जाती है। यदि बाढ़ पर नियंत्रण नहीं पड़ता है तो सरकार को, और ख़ास कर प्रजातांत्रिक सरकार को, कोई भी अधिकार नहीं है कि किसी नदी के प्राकृतिक बहाव पर रुकावट डाल कर किसी भी क्षेत्र विशेष के लोगों को तबाह और बरबाद करे”। इत्तिफ़ाक ने जिस मजूमदार समिति ने बेलका जलाशय के साथ इन तटबंधों की सिफ़ारिश की थी उसके अध्यक्ष एस-सी- मजूमदार (1940) ने, जब वह बंगाल के मुख्य अभियंता थे, मानते थे कि ‘वास्तव में, बंगाल में जो हमारा अनुभव रहा है उसके अनुसार बाढ़ नियंत्रण के लिए नदियों पर बनाये जाने वाले तटबंधों का मतलब इतना ही है कि हम आज के थोड़े से अस्थाई फ़ायदे के लिए आने वाली पीढि़यों को बंधक रख दें। बदलते वक़्त के साथ मजूमदार साहब के विचारों में भी परिवर्तन आ गया था और सिर्फ बारह साल के फासले पर वह तटबंधों के हिमायती बन गये थे।

अब बेलका जलाशय प्रस्ताव पर भी आफ़त

उधर सरकार इस सिकुड़ी-पिचकी योजना पर अमल कर सकने की स्थितिमें नहीं थी और जनता इसे सरकार पर शक़ की नीयत से देख रही थी। जय नारायण झा ‘विनीत’ ने बिहार विधान सभा में प्रश्न उठाया कि कोसी और उसकी विध्वंसलीला को रोकने में सरकार को और कितना समय लगेगा? तत्कालीन सिंचाई मंत्री, बिहार राज्य, का जवाब था कि,  दिल्ली में सिंचाई और शक्ति मंत्रालय में 22 जुलाई 1953 को एक बैठक हुई थी जिसमें सामान्यतः यह विचार प्रकट किया गया कि बांध या नहर के लिए बेलका ही सबसे उपयुत्तफ़ स्थान होगा और बाढ़ की भयंकरता की रोकथाम करने के लिए इस सम्बन्ध में सी-डब्ल्यू- पी-सी- को पूरे पैमाने पर जाँच-पड़ताल करने को कहा गया।

हम आशा करते हैं कि सन् 1953 में इसका काम शुरू हो जायेगा। उधर लहटन चौधरी को शक़ था कि बेलका योजना स्थगित हो गई है मगर सरकार को ऐसी कोई सूचना नहीं थी। लहटन चौधरी ने बिहार विधान सभा में अपनी निराशा व्यक्त करते हुये कहा था कि ‘यह सब कैसी भूल-भुलैयाँ है? एक के बाद दूसरी स्कीम बनाई जाती है और वह मिटा दी जाती है। एक एक्सपर्ट के बाद दूसरा एक्सपर्ट, दूसरे के बाद तीसरा और तीसरे के बाद चौथा एक्सपर्ट आता रहता है, किन्तु न जाने कब यह स्कीम लागू होगी और सरकार का जो वादा है यह पूरा भी होगा या नहीं?

 बेलका डैम के बारे में यह अपील की जा रही है कि 17 वर्षो में बालू जमा रखने वाला हिस्सा भर जायेगा और इतनी अवधि के लिए करोड़ों रुपये लगाना ठीक नहीं है। पर यह कोई नई बात नहीं हैं फिर आज एकाएक 17 वर्षों में भर जाने के प्रश्न को नया बता कर योजना क्यों छोड़ी जा रही हैं। उधर विधायक रमेश झा ने शिकायत की कि कुछ दिन पहले सिंचाई मंत्री ने बताया था कि भविष्य में बेलका डैम बनेगा और कुछ दिनों बाद उन्हीं की अध्यक्षता में पटना में एक मीटिंग हुई जिसमें केन्द्र सरकार के एक एक्सपर्ट ने बताया कि यह बांध बन पायेगा, यह कोई जरूरी नहीं है।

एक ओर केन्द्र सरकार पार्लियामेन्ट में बयान देती है कि बांध नहीं बनेगा तो दूसरी ओर राज्य सरकार विधान सभा में कहती है कि बेलका बांध बनेगा। अब किसको सही माना जाए योजनाएँ बनती रहीं, आवाजें उठती रहीं, आश्वासन दिये जाते रहे और कोसी अपनी गति से बहती रही यहाँ तक कि क्षेत्र से एक ग़ैर-सरकारी प्रतिनिधि मंडल 11 अगस्त 1953 को पंडित नेहरू से मिलने और यह बताने के लिए गया कि सरकार की टाल-मटोल वाली नीति से पार्टी की छवि को कितना नुकसान पहुँचा रही है। इस प्रतिनिधि मंडल में हरिनाथ मिश्र, सत्येन्द्र नारायण अग्रवाल तथा ललित नारायण मिश्र आदि बहुत से लोग थे।

यह लोग पं.नेहरू के साथ-साथ वी.टी.कृष्णमाचारी, उप-मंत्री, और कँवर सेन, उपाघ्यक्ष, केन्द्रीय जल तथा विद्युत आयोग से मिले। पर बेलका योजना पर विशेषज्ञों की एक बैठक में पुनर्विचार होना था। इस तरह के दबावों के चलते केन्द्र सरकार की ओर से जयसुख लाल हाथी को लोकसभा में आश्वासन देना पड़ा (9 सितम्बर 1953) कि, खोज-बीन अभी भी जारी है और यह उम्मीद की जाती है कि आने वाले 6 महीनों के भीतर इसे पूरा कर लिया जायेगा।

तभी यह बताना मुमकिन हो पायेगा कि सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण के लिए कौन सी योजना लागू की जायेगी। जहाँ तक नदी के पश्चिमी किनारे पर तटबन्धों का सवाल है उसके बारे में कोई मतभेद नहीं है। सवाल इस बात का है कि अगर बांध की ऊँचाई काफ़ी ज़्यादा होती है तो तटबन्धों के आकार को बदलना पड़ सकता है। जब तक बांध के बारे में फैसला नहीं होता तब तक तटबन्धों पर कोई फ़ैसला करना मुमकिन नहीं होगा। फिर भी सरकार लोगों की भावनाओं से पूरी तरह वाकि़फ़ है और इस परियोजना को शुरू करने के लिए हर मुमकिन कदम उठा रही है।

31 अक्टूबर और 1 नवम्बर 1953 को पं.नेहरू ने एक बार फिर उत्तर बिहार का दौरा किया और इससे कार्यकलाप में कुछ तेज़ी ज़रूर आई। आखि़रकार भारत सरकार द्वारा एक दूसरी समिति गठित की गई जिससे कोसी परियोजना के तत्कालीन स्वरूप पर राय मांगी गई। वेंकटा कृष्ण अयर-चीफ़ इंजीनियर, आन्ध्र प्रदेश,कुँवर सेन, अध्यक्ष, केन्द्रीय जल एवं विद्युत आयोग, एम.पी. मथरानी, चीफ़ इंजीनियर, बिहार तथा एन.के. बोस-निदेशक, सिंचाई शोध संस्थान, कलकत्ता, इस समिति के सदस्य थे। इस चारों सदस्यों ने क्षेत्र का 10 दिसम्बर 1953 को हवाई सर्वेक्षण किया और 13 दिसम्बर 1953 को अपना अन्तिम प्रतिवेदन सरकार को दिया जिसके आधार पर गुलजारी लाल नन्दा ने 14 दिसम्बर 1953 को लोकसभा में कोसी योजना का प्रारूप बताया जिसके आधार पर वर्तमान निर्माण कार्य हुआ है। इसे 1953 योजना के नाम से शोहरत मिली। इस योजना को केन्द्रीय जल तथा विद्युत आयोग की 1953 योजना भी कहते हैं।

उपर्युक्त सलाहकार समिति ने बराहक्षेत्र योजना
की एक वैकल्पिक व्यवस्था दी थी जिसके
अनुसार योजना निम्न

हमसे ईमेल या मैसेज द्वारा सीधे संपर्क करें.

क्या यह आपके लिए प्रासंगिक है? मेसेज छोड़ें.

Related Tags

koshi nadi(1) koshi river(2) kosi(1) bihar rivers(1) kosi flood(3) belka project(1)

More

विकाश सिंह-आप सभी राष्ट्रवासियों को  शिक्षक दिवस शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

विकाश सिंह-आप सभी राष्ट्रवासियों को शिक्षक दिवस शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरःगुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः..!!किसी भी व्यक्ति के जीवन में गुरु का महत्त्व स...

विकाश सिंह-शुभ जन्माष्टमी  जन्माष्टमी  श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पावन त्यौहार सभी देशवासियों के जीवन में लाये शुभता

विकाश सिंह-शुभ जन्माष्टमी जन्माष्टमी श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पावन त्यौहार सभी देशवासियों के जीवन में लाये शुभता

गीता में उपदेश सुनाया,धर्म युद्ध को धर्म बताया.कर्म तू कर मत रख फल की इच्छा,यह सन्देश तुम्हीं से पाया.अमर है गीता के बोल सारे,हे नाथ नारायण ...

विकाश सिंह-रक्षाबंधन  रक्षाबंधन  भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन आप सभी देशवासियों के जीवन में उल्लास का संचार करे

विकाश सिंह-रक्षाबंधन रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन आप सभी देशवासियों के जीवन में उल्लास का संचार करे

भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक पर्व है “रक्षाबंधन”, इसके अर्थ में ही छिपा हुआ है कि “रक्षा के लिए बंध जाना”. भाई-बहन के आपसी प्रेम और विश्व...

विकास सिंह - सफल रही आशीर्वाद यात्रा, जनता के स्नेह व समर्थन से बढ़ेंगे आगे

विकास सिंह - सफल रही आशीर्वाद यात्रा, जनता के स्नेह व समर्थन से बढ़ेंगे आगे

बिहार के जिला परिषद चुनाव भाग 3 के लिए युवा बसपा नेता विकास सिंह द्वारा की जा रही आशीर्वाद यात्रा पूरी तरह सफल रही। इस दौरान उन्होंने जिला प...

विकास सिंह - आकाशीय बिजली गिरने से जान गंवाने वाले लल्लन यादव को मुआवजा दिलाने की रखी मांग

विकास सिंह - आकाशीय बिजली गिरने से जान गंवाने वाले लल्लन यादव को मुआवजा दिलाने की रखी मांग

दुमदुम पंचायत के सारनपुर गांव में श्री लल्लन यादव की मृत्यु आकाशीय बिजली गिरने के कारण हो गई, वह मवेशी चराने के लिए खेतों में गए थे जब यह दु...

विकास सिंह - आशीर्वाद यात्रा के सोलहवें दिन दुमदुम गांव से मिला अपार जन समर्थन

विकास सिंह - आशीर्वाद यात्रा के सोलहवें दिन दुमदुम गांव से मिला अपार जन समर्थन

युवा जोश और जुनून के साथ भभुआ विधानसभा को विकास की ओर अग्रसर करने में संलग्न विकास सिंह भभुआ भाग 3 में होने जा रहे जिला परिषद चुनावों के लिए...

विकास सिंह - आशीर्वाद यात्रा का लगातार पंद्रहवां दिन, बेतरी पंचायत में लिया जनता का आशीर्वाद

विकास सिंह - आशीर्वाद यात्रा का लगातार पंद्रहवां दिन, बेतरी पंचायत में लिया जनता का आशीर्वाद

बिहार में होने जा रहे जिला परिषद चुनाव भाग 3 के लिए युवा बसपा नेता व प्रत्याशी विकास सिंह जनता का आशीष प्राप्त करने के क्रम में संलग्न हैं। ...

विकास सिंह - जिला परिषद चुनाव प्रत्याशी विकास सिंह ने जनता को दी स्वतंत्रता दिवस सहित आगामी सभी त्यौहारों की हार्दिक शुभकामनाएं

विकास सिंह - जिला परिषद चुनाव प्रत्याशी विकास सिंह ने जनता को दी स्वतंत्रता दिवस सहित आगामी सभी त्यौहारों की हार्दिक शुभकामनाएं

भभुआ विधानसभा से पूर्व प्रत्याशी रह चुके एवं युवा जोश प्रमुख व जिला परिषद चुनावों के प्रत्याशी विकास सिंह उर्फ लल्लू पटेल ने सभी भभुआवासियों...

विकास सिंह - मोकारी पंचायत के विभिन्न ग्रामों का किया दौरा, आशीर्वाद यात्रा में जनता से लिया आशीष

विकास सिंह - मोकारी पंचायत के विभिन्न ग्रामों का किया दौरा, आशीर्वाद यात्रा में जनता से लिया आशीष

बहुजन समाज पार्टी की ओऱ से जिला परिषद चुनाव भाग-3 को लेकर तैयारियां और तेज कर दी गईं हैं. बिहार की भभुआ विधानसभा क्षेत्र में होने वाले जा रह...

विकाश सिंह-स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं  स्वतंत्रता दिवस  आज़ादी का उत्सव आप सभी देशवासियों के जीवन में मंगल लाये

विकाश सिंह-स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं स्वतंत्रता दिवस आज़ादी का उत्सव आप सभी देशवासियों के जीवन में मंगल लाये

सुंदर है जग में सबसे, नाम भी न्यारा है.. जहां जाति-भाषा से बढ़कर बहती देश-प्रेम की धारा है.. निश्चल, पावन, प्रेम पुराना, वो भारत देश हमारा ह...

विकास सिंह - आशीर्वाद यात्रा के तेरहवें दिन दुमदुम पंचायत के विभिन्न ग्रामों में जनता के बीच जाकर किया जन संवाद

विकास सिंह - आशीर्वाद यात्रा के तेरहवें दिन दुमदुम पंचायत के विभिन्न ग्रामों में जनता के बीच जाकर किया जन संवाद

भभुआ विधानसभा से लोकप्रिय जनसेवक और युवा नेतृत्व की मिसाल विकास सिंह ने भभूआ विधानसभा क्षेत्र की दुमदुम पंचायत में आने वाले विभिन्न गांवों क...

विकास सिंह - मोकारी पंचायत में होगा आशीर्वाद यात्रा का चौदहवां दिन, आजादी के जश्न के साथ लेंगे जनता का आशीष

विकास सिंह - मोकारी पंचायत में होगा आशीर्वाद यात्रा का चौदहवां दिन, आजादी के जश्न के साथ लेंगे जनता का आशीष

बसपा युवा नेता विकास सिंह की आशीर्वाद यात्रा ने भी रफ्तार पकड़ ली है। भभुआ भाग 3 में होने जा रहे जिला परिषद चुनावों के लिए जनसम्पर्क अभियान क...

अधिक जानें..

© vikashsingh.in & Navpravartak.com Terms  Privacy