संक्षिप्त परिचय –
माही नदी पश्चिमोत्तर में बहने वाली प्रमुख नदियों में से एक है. यह नदी मध्य- प्रदेश से लेकर राजस्थान व गुजरात राज्य तक फैली हुई है. यह नदी अपने प्रवाह क्षेत्र में कर्क रेखा से दो बार गुजरती है तथा यह कर्क रेखा को काटने वाली भारत की एकमात्र नदी है. माही नदी का उद्गम मध्य- प्रदेश के धार जिले से होता है. नदी का मूल उद्गम स्थल विन्ध्याचल की पर्वत श्रेणियों में स्थित अममाऊ नामक स्थान है. तीन राज्यों की यात्रा तय करते हुए माही नदी गुजरात में खंभात की खाड़ी में गिरकर अरब सागर में समा जाती है.
माही का सफ़र –
मध्य- प्रदेश में विन्ध्याचल की पर्वतश्रेणियों से गुजरात तक के सफ़र में माही नदी अविरल धारा के साथ प्रवाहित होती है. म.प्र. के धार जिले से निकलने के बाद झाबुआ, रतलाम आदि जिलों के विभिन्न क्षेत्रों में बहते हुए यह बांसवाड़ा के समीप राजस्थान राज्य में प्रवेश करती है, जहां यह मुख्यतः बांसवाड़ा व डूंगरपुर जिलों में बहती है. इसके बाद माही नदी गुजरात की तरफ मुड़ती है. गुजरात पहुंचकर यह नदी खंभात की खाड़ी (अरब सागर ) में गिर जाती है तथा इसी के साथ माही नदी के सफ़र का अंत हो जाता है.
सहायक नदियां व प्रमुख बांध –
माही नदी की तीन राज्यों के बीच की यात्रा में यह कई सहायक नदियों को समेटते हुए चलती है. जिनमें प्रमुख रूप से सोम, बनास, चाप व मोरन आदि नदियां शामिल हैं. ये नदियां अलग- अलग क्षेत्रों में माही नदी में आकर समाहित होती हैं.
वहीं नदी पर बने बांधों की बात करें तो बांसवाड़ा में इस नदी पर माही बजाज सागर बांध बना हुआ है. इसके अलावा गुजरात के महीसागर में प्रसिद्ध कदाणा बांध भी इसी नदी पर बना हुआ है. इन बांधों पर बड़े पैमाने पर विद्युत उत्पादन किया जाता है.