आज से सैंकड़ों वर्ष पूर्व जब रामजन्मभूमि विवाद शुरू हुआ था, तो किसी को तनिक भी अंदाज़ा नहीं होगा कि यह देश का इतना बड़ा मुद्दा बन जायेगा. हम सभी के मन में राम बसते हैं, उनके सिद्धांत, आदर्श और उदारवादी दृष्टिकोण कहीं न कहीं हम सभी में छलकता है और श्री राम ने ही हमें सबका सम्मान करना सिखाया है. बात जब अयोध्या की होती है तो मन में खुद ही श्री राम की झांकी बन जाती है और यह स्वाभाविक भी है क्योंकि अयोध्या वह नगरी है जहां श्री राम ने जन्म लिया, अपना जीवन व्यतीत किया. त्रेता युग में इस पावन भूमि पर राम आये और आज तक भी उनके चिन्ह अयोध्या में पग पग पर देखने को मिलते हैं. आप स्वयं ही सोचिये कि कैसे श्री राम अयोध्या में रामलला के नाम से जाने जाते हैं, कोई तो जुड़ाव, लगाव या अपनापन रहा होगा उनका इस नगरी से. जैसे जैसे समय बदला..अनेकों परिवर्तन भारत ने देखे, तमाम धर्मों, समुदायों को इस देश ने अंगीकार किया.
गुलामी के 200 वर्ष भी हमारे पुरखों ने देखे, हिन्दू-मुस्लिम एकता का गढ़ कहे जाने वाले भारत को ब्रिटिश हुकूमत ने ऐसा तोडा कि हम बंट गए. दिलों में भाईचारे का स्थान मजहबी नफरत ने ले लिया और यही नफरत कहीं न कहीं नींव बन गयी अयोध्या विवाद की. नहीं तो विचारे कि फर्क ही क्या है रामभक्त और रहीमभक्त में, पर पहले अंग्रेज और फिर नफरतों की आग में रोटियां सेंकते राजनीतिज्ञों के लिए अयोध्या मुद्दा वोटिंग बैंक बन गया, जिसका इस्तेमाल धड़ल्लें से आज तक किया गया. लोगों को, धर्मों को लगातार इस नफरत की आग में सुलगाया जाता रहा है, एक धर्मनिरपेक्ष देश में रहते हुए भी लोग अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे थे, जिसका कारण बन रहा था यह विवाद.
"ह" से "हिन्दू", "म" से "मुसलमान" और "हम" से मिलकर बना ये सारा हिन्दुस्तान. वर्षों से विवादित अयोध्या मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से इन पंक्तियों की सार्थकता सिद्ध हो गयी. यह मुद्दा किसी जमीन, अधिकार या ढांचे से नहीं जुड़ा था, बल्कि यह जुड़ा था करोड़ों लोगों की भावनाओं से, धर्म-मजहब से. आज जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने 1045 पृष्ठ का निर्णय सुनाया तो भारत की धर्म निरपेक्षता अपने सर्वोत्तम स्वरुप में दिखी. मैं आप सभी से यह अपील करता हूँ कि इस निर्णय का सम्मान करते हुए आप सभी देशवासी इसके मूल में छिपी भारतीयता को समझने का प्रयास करें.
लेकिन आज 9/11 को हम सभी उस ऐतिहासिक निर्णय के साक्षी बनें, जिसने हमारे सर्वमान्य संविधान की प्रस्तावना को सच कर दिखाया. निर्णय के अनुसार जहां विवादित भूमि पर राम मंदिर बनाने की अनुमति रामलला विराजमान को मिली और हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यताओं का सम्मान किया गया, वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए उससे कहीं अधिक पांच एकड़ भूमि देने का निर्णय भी कोर्ट ने दिया और उनकी मजहबी भावनाओं को पूरा आदर दिया. आज का यह दिन स्वर्णिम इतिहास में दर्ज किया जायेगा क्योंकि वर्षों से अयोध्या जन्मभूमि के आस पास रह रहे सभी धर्मों के भाई-बहनों को अब जेल जैसे माहौल में नहीं रहना पड़ेगा, उन्हें भी अमन और शांतिपूर्ण जीवन जीने को मिलेगा, जिस पर हर भारतीय का अधिकार है.
यह निर्णय होना बेहद आवश्यक था, क्योंकि सही फैसले के अभाव में देश को हर रोज के दंगे-फसाद देखने को मिल रहे थे. आज कोर्ट के निर्णय ने साबित किया कि यह उन्नति के पथ पर अग्रसर भारत है, जिसने अपनी प्राचीन जडें खोई नहीं हैं..सभी धर्मों को सम्मान देने की हमारी संस्कृति कायम थी और रहेगी. आप सभी देशवासियों से विनम्र विनती है कि इस निर्णय को समय, परिस्थिति, तथ्यों के आधार पर और देश के एकीकरण के लिए सम्मान सहित स्वीकार करें. आपसी मनमुटाव को बढ़ावा न दें, किसी भी तरह की अफवाहों से बचें और दूसरों को भी बचाएँ. जिस तरह अथक प्रयास करके हमारे सुप्रीम कोर्ट ने देश के विकास की राह का एक बड़ा काँटा उखाड़ फेंका, अब हम सभी देशवासियों का भी यह कर्तव्य बनता है कि हम सभी इस निर्णय को सर्वसम्मति प्रदान कराने में अपना योगदान दें. इन्हीं शब्दों के साथ आप सभी को इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए बधाइयाँ, जय हिन्द..जय भारत..!!