काली के उद्धार के साथ साथ ही अंतवाडा गांव की तस्वीर भी बदलने लगी है, अथक प्रयासों से काली की दशा तो संवर ही रही है साथ ही अब लोग अंतवाडा गांव को भी जानने लगे हैं. काली नदी के कारण अंतवाडा गांव भी चर्चा का विषय बना हुआ है और लोग काली की धारा के साथ साथ गांव का इतिहास आदि जानने की दिशा में भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं. गौरतलब है नीर फाउंडेशन के लम्बे समय से किये गए प्रयासों से काली अपने उद्गम स्थल पर जलधारा के रूप में प्रस्फुटित हो चुकी है, जिसे देखने के लिए लोग दूर दूर से रोजाना यहां आ रहे हैं. बहुत से समाजसेवी, रिसर्चर, मीडियाकर्मी, छात्र आदि प्रतिदिन इस जलधारा को देखने आ रहे हैं और साथ ही आस पास के गांववासी भी एकजुट होकर काली कायाकल्प में सहयोग दर्ज करा रहे हैं.
मुज्जफरनगर से सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. संजीव कुमार बालियान ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत अंतवाडा गांव को गोद लेने की इच्छा जताई है. केंद्रीय मंत्री डॉ. बालियान ने नीर फाउंडेशन के निदेशक रमन कान्त से वार्तालाप करके अंतवाडा को आदर्श ग्राम के रूप में स्थापित करने की बात रखी. साथ ही उन्होंने बताया कि नदी विकास के लिए आमजन की भागीदारी देखते हुए वें इस गांव के विकास के लिए उत्साहित हैं और इसी क्रम में अन्य अहम जानकारियां जुटा रहे हैं. राजधानी दिल्ली में हुयी इस शिष्टाचार मुलाकात के अंतर्गत नदी अभियान से जुडी योजनाओं और भावी कार्यक्रमों की रुपरेखा के लिए चर्चा की गयी.
बता दें कि प्रधानमंत्री सांसद आदर्श ग्राम योजना का आरम्भ 11 अक्टूबर, 2014 को हुआ था, जिसमें सांसदों को एक वर्ष के लिए कोई भी एक ग्राम गोद लेकर वहां के विकास कार्यों को बढ़ावा देते हैं. इन बुनियादी विकास कार्यों में कृषि, पशुपालन, कुटीर उद्योग इत्यादि से जुड़े विकास कार्य सम्मिलित हैं. योजना की आवश्यकता, समाज की प्रेरणा और ग्रामवासियों की भागीदारी को देखते हुए ही इस योजना का क्रियान्वन किया जाता है.
वार्तालाप में केंद्रीय मंत्री डॉ बालियान ने नदी पुत्र रमन कान्त को बताया कि वें जल्द ही काली उद्गम स्थल का निरीक्षण करेंगे और सिंचाई, जल इत्यादि विभाग से जुड़े संबंधित अधिकारियों से भी नदी विकास से जुडी जरुरी चर्चा की जाएगी. नदी विकास कार्य में आ रही अडचनों को दूर करने के लिए भी आवश्यक कार्यवाही करने की बात डॉ बालियान ने रखी.
नदियां हम सभी के लिए जीवनदायिनी हैं और हमें पूजन सामग्री और कूड़ा-कचरा नदियों में नहीं डालना चाहिए. बच्चों ने एकजुटता से कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि काली नदी की प्रस्फुटित धारा को साक्षात् देखने का अवसर हमें मिला और भविष्य में नदियों को संरक्षित रखने के लिए जितने प्रयास हम से हो सकेंगे हम करेंगे.
छात्रों ने नदी उद्गम स्थल पर पहुंचकर जब इस तरह के प्रेरणादायक विचार साझा किये तो लगा कि नदियों और प्रकृति का भविष्य इन नन्हें हाथों में बेहद सुरक्षित है. नदी को खोया स्वरुप लौटने के क्रम में छात्र भी अपना सहयोग दर्ज कराने के लिए उत्साहित हैं, पर्यावरण और प्रकृति के प्रति छात्रों के मन में अपनत्व व जिज्ञासा पैदा करने के उद्देश्य से बहुत से स्कूल बच्चों को नदी की धारा दिखाने के लिए ला रहे हैं. इसी क्रम में कंकरखेडा स्थित तक्षशिला पब्लिक स्कूल के छात्र भी नदी से मिलने आयें, छात्रों की इस टोली ने काली नदी को अविरल और स्वच्छ बनाने की शपथ लेते हुए अपनी बोतल का पानी नदी में गिराया.